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आगि, सम्पूर्ण दाहकतासँ लैस अछि / नारायणजी

 
छाउर पर ठाढ़ अछि ओ
मगन अछि-
आगि पर ठाढ़ छी

छाउर
कहियो आगि छल
आगि नहि अछि आइ

जत’ आगि नहि अछि
आगि जागत नहि अछि
हमरा भीतरमे
भीतरसँ विदाह भ’ गेल अछि

आगि आइयो अछि
जत’ अछि आगि
सम्पूर्ण दाहकतासँ लैस अछि
आइयो दूरमे बसैत अछि माछी
आगि जीति नहि सकबाक पश्चातापसँ
दुनू हाथ मिड़ैत अछि
परित्यक्त अछि छाउर
छाउर पर ठाढ़ अछि ओ
लोककें देखा रहल अछि
अपन वीरता
आगि पर ठाढ़ होएबाक