Last modified on 19 दिसम्बर 2019, at 18:23

आजा साजन मेरे आँगन / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

आजा साजन मेरे आँगन।
रिमझिम-रिमझिम बरसे सावन।।

दिल सागर से ज्यादा गहरा।
प्यार भरा है उसमें पावन।।

फूल खिले हैं हर बागों में।
मधुर-मधुर मुस्कान सुहावन।।

हर आँगन का कोना-कोना।
हर्षित हरखित मन को भावन।।

माघ महीना सरसों फूले।
पीले-पीले रंग लुभावन।।

फगुनाहट की आहट आई।
रंग बसन्ती आज सुहागन।।