आजि काल्हि गइया के दसवा के देखि-देखि
हाइ हाइ हाइ रे फाटति बाटे छतिया।
डकरि-डकरि डकरति बाटे राति दिन
जीभिया निकालि के बोलति बाटे बतिया।
ताहू पर हाइ निरदइया हतत बाटे
गइया का लोहू से रंगत बा धरतिया।
अगवाँ के दुख-दुरदसवा के सोचि-सोचि
कोटि जुगा नियर बीतति बाटे रतिया।।