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आजु भलो बनि आयो लाल / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'

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आजु भलो बनि आयो लाल ॥
अंजन अधर पीक पलकन में, सोहत जावक सुन्दर भाल ।
बिनु गुन माल विराजत हिय में, अलसाने दुहु नैन विशाल ॥
मृगमद लसत भुजा में नीकी, चुम्बन चिन्ह चारु बिच गाल ।
चित ‘सरोज’ लखि छकित भये हैं, तेरी यह मतवाली चाल ॥