कर्तव्य, नेह, निष्ठा , बलिदान,
और विश्वास से विश्वास
उठ गया है.
अरे ! मनु की संतान
ये तुझे क्या हो गया है?
आज तुझे नीम भी मीठी लगती है.
लगता है,
आधुनिक परिवेश का
कोई सौंप डस गया है.
कर्तव्य, नेह, निष्ठा , बलिदान,
और विश्वास से विश्वास
उठ गया है.
अरे ! मनु की संतान
ये तुझे क्या हो गया है?
आज तुझे नीम भी मीठी लगती है.
लगता है,
आधुनिक परिवेश का
कोई सौंप डस गया है.