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आज का इन्सान / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति

कर्तव्य, नेह, निष्ठा , बलिदान,
और विश्वास से विश्वास
उठ गया है.
अरे ! मनु की संतान
ये तुझे क्या हो गया है?
आज तुझे नीम भी मीठी लगती है.
लगता है,
आधुनिक परिवेश का
कोई सौंप डस गया है.