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आज का चमन / अजमल सुल्तानपुरी

आज इकट्टा है दानिशवरांने वतन
यनि उलमा ओ शोअराए फिक्र और फन
साहिबाने नजर हासिले अन्जुमन
नुक्तादानो फसीहाने अहले सुनन
है अदीबो खतीबे जबानो सुखन
येह रजा का चमन है रजा का चमन
अजमते सिदके सिद्दीके अकबर लिए
अदले फारूके आजम का मजहर लिए
सब्रे उस्माँ गनी समन्दर लिए
कुव्वते दस्ते बाजुए हेदर लिए
नकहतो रंगे हजरत हुसैनो हसन
येह रजा का चमन है रजा का चमन
इसमें अजमेरी ख्वाजा ही ख्वाजगी
सैयद मस्ऊदे गाजी का गुलशन यही
ये है फुलवारी अशरफ जहाँगीर की
रंगो बुए बरेलीयो मरेहरवी
इसमें साया फिगन पंजए पंजतन
येह रजा का चमन है रजा का चमन
इसमें सैयद मुहम्मद कछोछा की शान
मुफती अब्दु हफीज आगरा की है आन
इसमें हाफीजे मिल्लत के मिस्बाही आन
और मुजाहिदे मिल्लत हबीबुर्रहमान
सादगी जिसपा कुरबान हर बाँकपन
यह रजा का चमन है रजा का चमन