भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज बिरज में होरी रे रसिया / ब्रजभाषा

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:27, 15 मार्च 2011 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आज बिरज में होरी है रे रसिया

होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...

आज बिरज में होरी है रे रसिया

कहूँ बहुत कहूँ थोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...

इत तन श्याम सखा संग निकसे

उत वृषभान दुलारी है रे रसिया | आज बिरज में ...


उड़त गुलाल लाल भये बदरा

केसर की पिचकारी है रे रसिया | आज बिरज में ...


बाजत बीन, मृदंग, झांझ ओ डफली

गावत दे -दे - तारी है रे रसिया | आज बिरज में ...


श्यामा श्याम संग मिल खेलें होरी,

तन मन धन बलिहारी है रे रसिया | आज बिरज में ...

होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया | आज बिरज में ...

आज बिरज में होरी रे रसिया !