भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आज भी है शेष है / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKRachna |रचनाकार=कविता भट्ट |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
ध्यान नहीं, मुझे देखना दावा था, | ध्यान नहीं, मुझे देखना दावा था, | ||
− | + | या उसका वचन केवल छलावा था। | |
+ | |||
मेरे थे अपने ही भोलेपन, | मेरे थे अपने ही भोलेपन, | ||
वह किसी और में था मगन। | वह किसी और में था मगन। | ||
− | किन्तु आज भी | + | किन्तु आज भी मुझमे शेष है, |
वही निष्ठा- प्रेम विशेष है। | वही निष्ठा- प्रेम विशेष है। | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 22: | ||
मेरे भीतर भी ईश्वर जीवित है, | मेरे भीतर भी ईश्वर जीवित है, | ||
− | यह मिथ्या नहीं बल्कि सुनिश्चित है। | + | यह मिथ्या नहीं ,बल्कि सुनिश्चित है। |
शत्रुता अच्छी मित्रों ने निभाई | शत्रुता अच्छी मित्रों ने निभाई |
02:50, 17 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
उसकी चपल आँखों की गति,
मेरे लिए प्रश्न है आज भी।
ध्यान नहीं, मुझे देखना दावा था,
या उसका वचन केवल छलावा था।
मेरे थे अपने ही भोलेपन,
वह किसी और में था मगन।
किन्तु आज भी मुझमे शेष है,
वही निष्ठा- प्रेम विशेष है।
टूटेगा कभी तो उसका भरम,
विजयी होगा मेरा ही धरम।
मेरे भीतर भी ईश्वर जीवित है,
यह मिथ्या नहीं ,बल्कि सुनिश्चित है।
शत्रुता अच्छी मित्रों ने निभाई
कटार लिये खड़ी मेरी परछाई।
-0-