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आज रौशन अँधेरे हुए / अभिषेक कुमार अम्बर

आज रौशन अँधेरे हुए
रात में भी सवेरे हुए।

चाँद तारों की औकात क्या
आज तो हम भी तेरे हुए।

गोपियाँ आज सारी खड़ी
तट पे कान्हा को घेरे हुए।

रूठिए यों न हमसे सनम
बैठिए मुँह न फेरे हुए।

रहजनों का हमें खौफ क्या
अब तो रहबर लुटेरे हुए।

नाम जब जब तुम्हारा सुना
ग़म के बादल घनेरे हुए।