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आज वृन्दावन रहस रच्यो है / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आज वृन्दावन रहस रच्यो है,
मैं भी देखन जाऊँगी।
सोलह शृंगार करूँ मोरी सजनी
मुतियन माँग भराऊँगी। आज वृन्दावन...।
ओढ़के मैं तो पचरंग चूनर
श्याम को खूब रिझाऊँगी। आज वृन्दावन...।
मोहन दान दही मांगे
कंस को जोर दिखाऊँगी। आज वृन्दावन...।
ऐसो रहस देख मेरी सजनी
प्रेम मगन हो जाऊँगी। आज वृन्दावन...।