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आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी मेरे मीत!/ गुलाब खंडेलवाल

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आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी, मेरे मीत!
लौटके फिर इस राह से आना, मेरे साथी, मेरे मीत!

कठपुतली का खेल दिखाने कोई हमें लाया था यहाँ
प्यार तो था बस एक बहाना, मेरे साथी, मेरे मीत!

झाँझर नैया, डाँड़ें टूटीं, नागिन लहरें, तेज हवा
टिक न सकेगा पाल पुराना, मेरे साथी, मेरे मीत!

यों तो हरेक झोंके से हवा के, प्यार की ख़ुशबू आती थी
दिल ने तुम्हींको एक था माना, मेरे साथी, मेरे मीत!

मिल भी गए फिर आते-जाते, मिलके निगाहें फेर भी लो
गंध गुलाब की भूल न जाना, मेरे साथी, मेरे मीत!