आती है झिझक सी उनके आगे जाते
वो देखते हैं कभी कभी तो ऐसे
घबरा के मैं बाँहों में सिमट जाती हूँ
लगता है कि मैं कुछ नहीं पहने जैसे
आती है झिझक सी उनके आगे जाते
वो देखते हैं कभी कभी तो ऐसे
घबरा के मैं बाँहों में सिमट जाती हूँ
लगता है कि मैं कुछ नहीं पहने जैसे