भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आदमखोर / मनोज श्रीवास्तव

8 bytes added, 08:30, 3 अगस्त 2010
नहीं होते आदमखोर
पौराणिक पात्र
गपोडे गपोड़े इतिहासकार
या, कवि की
कल्पना की फसल,
उनके अंडे-बच्चे
नहीं छिपाते --बारूद वे ठिठुरते-पसीजते
पेट-पीठ सटे
राष्ट्र की घुनियाई नींव में,
गिरती धारा पर
अपना जूठा पानी पिलाते
इलज़ाम इल्ज़ाम सहते बेजान मेमनों को ,
मौत की फब्तियों से
नहीं हड़काते वे.