Changes

आदमी-औरत / स्वदेश भारती

2 bytes added, 14:28, 4 नवम्बर 2019
अभिराम स्वप्न जागते हैं
आदमी ने कहा— कहा — आओ चलें, आगे और आगेऔरत ने कहा— कहा — आह ! मर्द क्यों नहीं समझ पाते औरत के
अन्तस में धधकते अँगारे, अन्तर-निहित रहस्य, कामनाएँ
और उनके दायरे ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,220
edits