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आदमी-दो / केदारनाथ अग्रवाल

आदमी को
मैंने
टेलीविजन में देखा
सिर पर उठाए धरती
पाँव से दबाए चाँद
और मैं
खुश हूँ

रचनाकाल: २७-०७-१९६९