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"आदमी जैसे हो कुछ अजगरों के बीच / प्रकाश बादल" के अवतरणों में अंतर
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11:59, 23 जून 2010 के समय का अवतरण
आदमी जैसे हो कुछ अजगरों के बीच।
चंदन सी ज़िंदगी है विषधरों के बीच।
ये, वो, मैं, तू हैं सब तमाशबीन,
लहूलुहान सिसकियां हैं खंजरों के बीच।
शहर के मज़हब से नावाकिफ़ अंजान वो,
बातें प्यार की करे कुछ सरफिरों के बीच।
भरी सभा में द्रौपदी-सा चीख़े मेरा देश,
कब आओगे कृष्ण इन कायरों के बीच।
ख़ुद ही अब बताएंगे कि हम ख़ुदा नहीं,
आज गुफ़्तगू हुई ये पत्थरों के बीच।
आँसू इसलिये आँख से छलकाता नहीं मैं,
कुछ मछलियाँ भी रहतीं हैं सागरों की बीच।