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"आदिवासी गीत सुनने के बाद / दिनेश्वर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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ले चलो, महाकान्तार में ।
अँकों से ऊब गया हूँ ।
घूरते प्रश्नों की हंसी में डूब गया हूँ ।
खींचो मुझे, ले चलो —
हरियाली पीकर लौट आऊँगा ।
(14 दिसम्बर 1964)