भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदिवासी (3) / राकेश कुमार पालीवाल

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:48, 25 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश कुमार पालीवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


अंटार्कटिका की आदिम बर्फ पिघलने मे
इनका कोई हाथ नहीं
 
न ही ये शरीक हैं उन बदमाशियों मे
जिनकी वजह से छेद हुआ है
आकाश की बेशकीमती ओजोन परत मे
 
इन्होंने नहीं उजाडा हरा भरा जंगल
इन्होंने गदली नहीं होने दी
जंगल से बहती नदियों की अमृत धार
 
इन्होंने नही मारे शेर भालू बाघ तेंदुए
इन्होंने नही किया ऐसा कोई कुकर्म
जिससे खतरे मे पडे यह धरती
और इस धरती का जीवन
 
जब कभी भी लिखा जायेगा
सुंदर धरती उजाडने वाले
खूंखार राक्षशों का इतिहास
इस आदि भूमि से
एक भी आदमी का नाम नही होगा
इतिहास की उस काली किताब मे