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आधी रात बीत गई / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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आठ लोरियाँ सुना चुकी हूँ,
परियों वाली कथा सुनाई।

आधी रात बीत गई भैया,
अब तक तुमको नींद न आई।

थपकी दे दे हाथ थक गए,
दिया कंठ ने भी अब धोखा ।

अब तो सोजा राजा बेटा,
तू है मेरा लाल अनोखा।

चूर-चूर मैं थकी हुई हूँ,
सचमुच लल्ला राम दुहाई।

आधी रात बीत गई बीत भैया,
अब तक तुमको नींद न आई।

सोए पंख पखेरू सारे,
अलसाए हैं नभ के तारे।

करें अंधेरे पहरेदारी,
धरती सोई पैर पसारे।

बर्फ-बर्फ हो ठंड जम रही,
मार पैर मत फेंक रजाई।

आधी रात बीत गई बीत भैया,
अब तक तुमको नींद न आई।

झपकी नहीं लगी अब भी तो,
सुबह शीघ्र ना उठ पाओगे।

यदि देर तक सोए रहे तो,
फिर कैसे शाला जाओगे।

समझा-समझा हार गई मैं,
बात तुम्हें पर समझ न आई।

आधी रात बीत गई भैया
अब तक तुमको नींद न आई।