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"आधुनिक जगत की स्‍पर्धपूर्ण नुमाइश में / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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00:55, 2 जून 2010 का अवतरण


आधुनिक जगत की स्‍पर्धपूर्ण नुमाइश में

हैं आज दिखावे पर मानवता की क़‍िस्‍में,

है भरा हुआ आँखों में कौतूहल-विस्‍मय,
देखें इनमे
कहलाया जाता
कौन मीर?


दुनिया के तानाशाहों का सर्वोच्‍च शिखर,

यह फ्रैको, टोजो, मसोलिनी पर हर हिटलर,

यह रूज़वेल्‍ट, यह ट्रूमन, जिसकी चेष्‍टा पर

हीरोशीमा, नागासाकी पर ढहा क़हर,

यह है चियांग, जापान गर्व को मर्दित कर

जो अर्द्ध चीन के साथ आज करता आज संगर,

यह भीमकाय चर्चिल है जिसको लगी फ़ि‍कर

इंगलिस्‍तानी साम्राज्‍य रहा है बिगड़-बिखर,

यह अफ्रीक़ा का स्‍मट्स खबर है जिसे नहीं,

क्‍या होता, गोरे-काले चमड़े के अंदर,

यह स्‍टलिनग्राड
का स्‍टलिन लौह का
ठोस बोरा।


जग के इस महाप्रदर्शन के नम्रता सहित

संपूर्ण सभ्‍यता भारतीय, सारी संस्‍कृति

के युग-युग की साधना-तपस्‍या की परिणति,

हम में जो कुछ सर्वोत्‍तम है उसका प्रतिनिधि

हम लाए हैं
अपना बूढ़ा-
नंगा फ़कीर।