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आधे चंद्रमा के रूप ढाके केश घटा कैंधौँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)

आधे चंद्रमा के रूप ढाके केश घटा कैंधौँ ,
गगना के नाके विधु आठवीँ कला के हैँ ।
कैँधौँ काम देवता के कनक बटा के रूप ,
औँधा के धरे हैँ हेतु ससि को सुधा के हैँ ।
कैँधौँ एक छत्र ताके छत्र छविता के छीने ,
नासिका के दँड बाँके गुन बिधिना के हैँ ।
कैँधौँ नाथ भाग्य ताके भाजन भरे धरे हैँ ।


रीतिकाल के किन्हीं अज्ञात कवि का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।