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आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं! / गुलाब खंडेलवाल

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आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं!
कहीं आगे भी सितारों के राह है कि नहीं!

यह तो किस मुँह से कहें आप हमारे हो जायँ
पर हमें अपना बनाने की चाह है कि नहीं!

आपका दर न सही, राह का पत्थर ही सही
हमको हर हाल में होना तबाह है कि नहीं!

यह तो क़िस्मत न हुई, खुल के सामने हों कभी
पर इधर आपकी तिरछी निगाह है कि नहीं!

झुकके आँखों में किसी की ये पूछते हैं गुलाब
'आपके दिल में पहुँचने की राह है कि नहीं!'