आपनोॅ मोॅन केॅ हम्मीं जानौं,
या तेॅ जानै हमरे राम ।
पहिलोॅ डेग जों पूरब दै छौ
दोसरोॅ पच्छिम होय जाय छै
उत्तर, दखिन, पूरब, पश्चिम
सगरे मोॅन आवै-जाय छै
हम्में हारलोॅ ई मनोॅ सें
हमरे बस में नै छै राम ।
सत्य, सादगी, सदाचार के
डोरी हाथोॅ सें छुटलोॅ जाय छै
बिखरी रहलोॅ छै सब्भे परम्परा
मरयादा सब्भे टूटी रहलोॅ छै
‘बेचारा जी’ भटकी रहलोॅ छै
आबी केॅ रसता देखावोॅ राम ।