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"आपसे मिले (हाइकु) / कमलेश भट्ट 'कमल'" के अवतरणों में अंतर

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(हाइकु)
 
 
  
 
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02:20, 21 अगस्त 2018 का अवतरण


1
प्रीति, हाँ प्रीति
दुनिया में सुख की
एक ही रीति ।
2
आप से मिले
तो लगा क्या मिलना
किसी और से !
3
ढूँढ़ता रहा
खुद को दिन रात
ढूँढ़ न पाया !
4
छोटा कर दे
रातों की लम्बाई भी
गहरी नींद ।
5
 छीन ही लिया
नदी का नदीपन
प्यासे बाँधों ने ।
6
रिश्तों से ज्यादा
तनाव बसते है
घरों में अब !
7
युग-युगों से
सोए पड़े पहाड़
जागेंगे कब ?
8
गाँवों से लाता
शुद्ध आक्सीजन भी
वश न चला ।
9
भीड़ तो बढ़ी
विरल हो चले हैं
रिश्ते परंतु ।
10
रात होते ही
गोलबन्द हो गये
चाँद-सितारे ।
11
घिर गया है
विषैली लताओं से
जीवन- वृक्ष ।
12
बुझते हुए
पल भर को सही
लड़ी थी लौ भी ।
13
मैं नहीं हूँ मैं
तुम भी कहाँ तुम
सब मुखौटॆ ।