Last modified on 27 अगस्त 2019, at 22:07

आपस में गलबहियाँ लेकर / संदीप ‘सरस’

आपस में गलबहियाँ लेकर
ठुमक चले हैं अक्षर अक्षर

निश्चित ही रचनाकारों का भाव भरा आमंत्रण होगा।
आज सृजन के राजभवन में गीतों का अभिनंदन होगा।

सँवेगों ने स्वागत गाया, आवेगों ने चरण पखारे।
और उमंगों ने आगे बढ़, सौ सौ मंगलगान उचारे।

हुई घोषणा है सम्मानित उर का हर स्पंदन होगा।
आज सृजन के राजभवन में गीतों का अभिनंदन होगा।1।

संशय का प्रवेश प्रतिबंधित, पहरे पर विश्वास अटल है।
संवेदी अनुभूति गहन है, मानस का उल्लास अटल है।

निश्चल भावों के आँगन में प्रियता का अभिमंत्रण होगा।
आज सृजन के राजभवन में गीतों का अभिनंदन होगा।2।

अन्तस् की अभिव्यक्ति प्रखर है, मृदुता का भावातिरेक है।
भावव्यंजना की रोली से गीतों का राज्याभिषेक है।

साँसों से अनुप्राणित स्वर का शब्दों में उच्चारण होगा।
आज सृजन के राजभवन में गीतों का अभिनंदन होगा।3।