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"आप क्या जानें मुझपै क्या गुज़री / यगाना चंगेज़ी" के अवतरणों में अंतर

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आप क्या जानें मुझपै क्या गुज़री।
 
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सुबह दम देखकर गुलों का निखार॥
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दूर से देख लो हसीनों को।
 
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बेनियाज़ी भली कि बेअदबी।
 
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बन्दगी का सबूत दूँ क्योंकर।
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इससे बहतर है कीजिये इन्कार॥
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ऐसे दो दिल भी कम मिले होंगे।
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न कशाकश हुई न जीत न हार॥

14:30, 12 जुलाई 2009 का अवतरण


आप क्या जानें मुझपै क्या गुज़री।

सुबहदम देखकर गुलों का निखार॥

दूर से देख लो हसीनों को।

न बनाना कभी गले का हार॥


अपने ही साये से भड़कते हो।

ऐसी वहशत पै क्यों न आए प्यार॥


तू भी जी और मुझे भी जीने दे।

जैसे आबाद गुल से पहलू-ए-ख़ार॥


बेनियाज़ी भली कि बेअदबी।

लड़खडा़ती ज़बाँ से शिकवये-यार॥


बन्दगी का सबूत दूँ क्योंकर।

इससे बहतर है कीजिये इन्कार॥


ऐसे दो दिल भी कम मिले होंगे।

न कशाकश हुई न जीत न हार॥