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आबले हैं तो हैं तो हैं तो हैं / दीपक शर्मा 'दीप'

आबले हैं तो हैं तो हैं तो हैं
कोयले, हैं तो हैं तो हैं तो हैं

ख़ैर पहलू में हैं पड़े लेकिन
फ़ासले हैं तो हैं तो हैं तो हैं

दाग़ हैं चित्तियाँ भी हैं हाँ हैं,
हैं जले हैं, तो हैं तो हैं तो हैं

दर्द है,इश्क़ हाय दुनिया भी,
मशग़ले हैं तो हैं तो हैं तो हैं

 गुड़ नहीं चून भी नदारद है,
गुलगुले हैं तो हैं तो हैं तो हैं

ये अलग बात के नहीं मैना
 घोंसले हैं,तो हैं तो हैं तो हैं

एक गोरी कहा करे है दीप
 साँवले हैं तो हैं तो हैं तो हैं!