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आभो / कन्हैया लाल भाटी

ओ आभो
थे जाणो जित्तो
सूनो नीं है,
ओ तो समदर है-
ऊंधो पळटिज्योड़ो
जिण में तिरै
ठाह नीं किण री
बादळां नांव सूं नावां।