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आमन्त्रण (जहाँ ख़त्म होती है पगडण्डी) / शेल सिल्वरस्टीन / नीता पोरवाल
Kavita Kosh से
अगर तुम एक स्वप्न दृष्टा हो,
तो आओ
अगर तुम एक स्वप्नदृष्टा हो,
एक शुभचिन्तक, एक गप्पी,
एक आशावादी, एक प्रार्थी,
जादुई बीज के ख़रीदार हो
अगर तुम एक बहानेबाज़ हो,
तो आओ,
मेरे पास बैठो
क्योंकि हमारे पास बुनने के लिए हैं
सन की तरह कुछ सुनहली कहानियाँ
आओ,
आ जाओ
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीता पोरवाल