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आया बसंत / कविता गौड़

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आया बसंत, आया बसंत
रस माधुरी लाया बसंत
आमों में बौर लाया बसंत
कोयल का गान लाया बसंत
आया बसंत आया बसंत

टेसू के फूल लाया बसंत
मन में प्रेम जगाता बसंत
कोंपले फूटने लगी
राग-रंग ले आया बसंत
आया बसंत आया बसंत

नव प्रेम के इज़हार का
मौसम ले आया बसंत
बसंती बयार में
झूमने लगे तन-मन
सोये हुए प्रेम को आके जगाया बसंत
आया बसंत आया बसंत