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आयी हिमगिरि लाँघ लुटेरों की टोली फुफुकारती
चालीस कोटि की सुतों की जननी आज खड़ी अधीर पुकारती
आज हिमालय के शिखरों से स्वतंत्रता ललकारती
शीश चढ़ा दे जो स्वदेश पर वही उतारे आरती
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