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आयुर्वेद / शीतल प्रसाद शर्मा

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बेरा चढ़त ले सुतइया, अपनी गर्मी ल छरियाये
उही गर्मी माथा पीठ, पेट, बात पीरा उपजाय।
चैत बैशाख म आमा, अग्घन पूस बिही।
सावन भादों थोरकिन खवइया, अब्बड़ दिन जीही।
खाली पेट म पानी, भरे पेट म अन्न
कभु झन खाहौ भइया, बिगड़ ज़हीं तन