Changes

आरसी / नज़ीर अकबराबादी

6 bytes removed, 08:41, 19 जनवरी 2016
{{KKCatNazm}}
<Poem>
बनवा के एक आरसी हमने कहा कि लो ।लो।पकड़ी कलाई उसकी जो वह शाख़सार<ref>शाख़ जैसी , कोमल</ref>-सी ।सी।लेकर बड़े दिमाग और देख यक-ब-यक ।बयक।त्योरी चढ़ा के नाज़ में कुछ करके आरसी ।आरसी।झुँझला झुंझला के दूर फेंक दी और यूँ यूं कहा चै ख़ुश ।खु़श।हम मारते हैं ऐसी अंगूठे पै आरसी ।आरसी।
</poem>
{{KKMeaning}}