भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आरू बाराच डेहरी को माण्डोड़ो ओ / पँवारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आरू बाराच डेहरी को माण्डोड़ो ओ
भोराया कलस की बेली पर पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।
आरू आज को निवता ओना कोनऽ देव घरऽ ओ
आरू गणेश देव संग म रिद्धि-सिद्धि आओ
मऽ नान्दु तोरो माण्डोड़ ओ।।
आरू बाराच डेहरी को माण्डोड़ो ओ
भोराया कलस की बेलि पअ्, पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता एना महादेव घरऽ ओ
आरू महादेव संग मऽ पारवती आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डाड़ो ओ।।
आरू बारा जो डेहरी को माण्डोड़ो ओ
भोराया कलस की बेलि पअ् पाटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते विसन देव घरऽ ओ
आरू विष्णु देव संग मऽ लक्ष्मी जी आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते भैरव देवऽ घरऽ ओ
भैरवदेव संग मऽ साती बहिना आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
भोराया कलस की बेलि पऽ
पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
नाराईन देव संग मऽ रीना देवी आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
भोराया आया कलस की बेलि पऽ
पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता ऊ ते मोती देव घरऽ ओ
छोटे देव संग म पारवती बाई आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
भोराया कलश की बेलि पऽ
पटोड़ो छायो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते बिहारी देवऽ घरऽ ओ
मोती देव संग मऽ पिखोली बाई आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।
आरू आज को निवता उते भैरव देवऽ घरऽ ओ
एना बिहारी देव संग म फुन्दा बाई आओ
मऽ नान्दू तोरो माण्डोड़ो ओ।।