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आर्षवाणी / सुमित्रानंदन पंत

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दीपशिखा महादेवी को
दीपशिखे, तुमने जल जल कर ऊर्ध्व ज्योति की वर्षण,
ये आलोक ऋचाएँ तुमको करता सहज समर्पण।