Last modified on 29 जुलाई 2009, at 19:07

आली बहु वासर, बिताए ध्यान धरि-धरि / सोमनाथ

आली बहु वासर, बिताए ध्यान धरि-धरि,
तिनको सुफल, नैन दरसन पावेंगे।
होत हैं री सगुन, सुहावने प्रभात ही तैं,
अंगन में अधिक, विनोद सरसावेंगे॥

'सोमनाथ हरै-हरै, बतियाँ अनूठी कहि,
गूढ बिरहानल, की तपनि बुझावेंगे।
सबही तैं प्यारे प्रान, प्रानन तें प्यारे पति,
पतिँ तैं प्यारे ब्रजपति आज आवेंगे।