Last modified on 18 अप्रैल 2011, at 20:04

आवत है वन ते मनमोहन / रसखान

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:04, 18 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आवत है वन ते मनमोहन, गाइन संग लसै ब्रज-ग्वाला ।

बेनु बजावत गावत गीत, अभीत इतै करिगौ कछु रत्याना ।

हेरत हेरित चकै चहुँ ओर ते झाँकी झरोखन तै ब्रजबाला ।

देखि सुआनन को रसखनि तज्यौ सब द्योस को ताप कसाला ।