Last modified on 6 जून 2009, at 23:28

आवाज़ दो / रवीन्द्र दास

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 6 जून 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आवाज़ दो मुझे
पुकारो मेरा नाम बार-बार
इसी से होता है अहसास
होने का
होता है गुमान
कि नहीं हुआ हूँ गुम
अनजानी गलियों में
तेरी आवाज़ से
हो पाता है यकीन
कि नहीं हुआ हूँ ओझल
अपनी ही नज़रों से
चाहता हूँ
बने रहना अपनी नज़रों में
आवाज़ दो मुझे