भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आवाह्न / त्रिभवन कौल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कल का भविष्य तुम्हारा बच्चो, अंतहीन आकाश में
छू सको तो छू लो सीमा, अपने जीवन के प्रकाश में
बढ़े चलो बढ़े चलो, कदम मिला बढ़े चलो

यह देश तुम्हारा, धरा तुम्हारी, संसार तुम्हारा हो जायेगा
प्यार के बीज का रोपण कर दो, नाम तुम्हारा हो जायेगा
बढ़े चलो बढ़े चलो, कदम मिला बढ़े चलो

बन कर दिखलाना है तुमको, भारत के ऐसे लाल
भूलें हम न भूलें दुनिया, बीतें सदियाँ सालों साल
बढ़े चलो बढ़े चलो, कदम मिला बढ़े चलो

इस देश के शत्रु बहुतेरे, अंदर के और बाहर के
खदेड् दो सजग रहो, तुम बालक वीर भूमि के
बढ़े चलो बढ़े चलो, कदम मिला बढ़े चलो

कला विज्ञानं वाणिज्य के, बनो तुम कर्णधार
नवयुग का निर्माण करो भारत के सपने साकार
बढ़े चलो बढ़े चलो, कदम मिला बढ़े चलो

गर्वित हो मात-पिता, गौरविंत हो गाँव-प्रदेश
दिखलाओ करके ऐसा, नत मस्तक हो भारत देश
बढ़े चलो बढ़े चलो, कदम मिला बढ़े चलो