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आव रे चांद भैंसी बान्ध / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

"आव रे चांद, भैंसी बान्ध।
चन्दा बाबा चन्दी दऽ
घीं मऽ रोटी वालई दऽ।
नाना भाई खऽ भावऽ नी,
न झुमका लाड़ी आवऽ नी।"