Last modified on 23 जनवरी 2009, at 10:21

आस्थाओं की गीत / ओमप्रकाश सारस्वत

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:21, 23 जनवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सारी बस्ती आतंकित है
सारा शहर
उदास
सारी घाटी
कर्फ्यू के घर
काट रही
दिन रात

जितने भी
सदभावों के थे
नदी
फूल
झरने
जहरीले
मौसम में
घुट-घुट
लगे सांस
भऱने

साझा
आकुल
दिवस बावले
पगलाई-सी
शाम

रिश्ते सारे
यात्री
हो गए
बचा मात्र
संताप
अपने घर में
अपनों से ही
अपनों को
संत्रास
 गांव का दुश्मन
शहर हो गया
शहर का दुश्मन
गांव

चिन्तामग्न
चिनार
खड़े हैं
केसर-मन
क्षयशील
सब के
दुख में
सूख रही है
अम्मां-सी डलझील
दिन-दिन
पल-पल
क्षीण
हो रहे
आस्थाओं के गात