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आहा, कैसा आया जाड़ा / प्रकाश मनु

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गया नवंबर, शुरू दिसंबर,
उछल-कूदता भागा चंदर
लेकर आया स्वेटर दो-दो,
गरम कोट भी लाएगा वो।
ओढ़ेगा वह गरम रजाई,
नई रुई उसमें भरवाई।

जाड़े की जब होगी किल-किल,
खूब हँसेगा चंदर खिल-खिल।
और पढ़ेगा यही पहाड़ा-
आहा, कैस आया जाड़ा!