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आह्वान गीत / किसलय कृष्ण - अवतरण इतिहास
2024-03-28T20:58:47Z
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<poem><br />
उड़ाही सूखल पोखरि आ अप्पन माछ-मखान बचाबी<br />
यौ मैथिलजन जागू ने, हेराइत अप्पन पहिचान बचाबी<br />
<br />
मातृवाणी बिसरा रहल जखन चिनवारे पर<br />
कतेक आस राखब हम तखन सरकारे पर<br />
सुमन-किरण-यात्रीक बाट बिसरल छी हम<br />
अपन राग आ तान बिसरि ससरल छी हम<br />
अपन फाग संग चैतावर आ माटिक सभ गान बचाबी<br />
यौ मैथिलजन जागू ने, हेराइत अप्पन पहिचान बचाबी<br />
<br />
दीनाभद्री आ लोरिक, सलहेस केँ याद करी<br />
अपनलोक सँ बस निजभाषा में संवाद करी<br />
कवि विद्यापतिक मंच फेर अनुशासित हो<br />
जतय मैथिलीक राग-तान परिभाषित हो<br />
भारती, भामती आ जानकीक ई भूमि से गुमान बचाबी<br />
यौ मैथिलजन जागू ने, हेराइत अप्पन पहिचान बचाबी<br />
<br />
बिहारी-मधेशी बनल मिथिले में नाम हमर<br />
प्रवास गेलहुँ त' पूर्वांचली पहिचान हमर<br />
आयातित त्यौहार में हेरायल ओ रीत अपन<br />
आनक धुन पर किकिया रहल गीत अपन<br />
चेत जाउ आबो, पुरूखा केर संस्कृति खरिहान बचाबी<br />
यौ मैथिलजन जागू ने, हेराइत अप्पन पहिचान बचाबी<br />
</poem></div>
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