भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आ गया दिल जो कहीं और ही सूरत होगी / लाला माधव राम 'जौहर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आ गया दिल जो कहीं और ही सूरत होगी
लोग देखेंगे तमाशा जो मोहब्बत होगी

दिल-लगी तर्क-ए-मोहब्बत नहीं तक़्सीर मुआफ़
होते होते मिरे क़ाबू में तबीअत होगी

उन के आने की ख़बर सुन के तो ये हाल हुआ
जब वो आएँगे तो फिर क्या मिरी हालत होगी

टुकड़े कर डाले कोई उस के तो मैं भी ख़ुष हूँ
दिल न होगा न मिरी जान मोहब्बत होगी

वो छुपाया करें इस बात से क्या होता है
आप सर चढ़ के पुकारेगी जो उल्फ़त होगी

ये न फ़रमाओ शब-ए-हिज्र कटेगी क्यूँकर
तुम को क्या काम जो होगी मिरी हालत होगी

मार डाला मुझे बे-मौत बडा काम किया
ख़ूब तारीफ़ तिरी ऐ शब-ए-फ़ुर्क़त होगी

ऐ दिल-ए-ज़ार मज़ा देख लिया उल्फ़त का
हम न कहते थे कि इस काम में ज़िल्लत होगी

ये भी कुछ बात है फिर वस्ल न हो ऐ ‘जौहर’
रंज राहत से हुआ रंज से राहत होगी