http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%86_%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%88_/_%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%B6_%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80&feed=atom&action=historyआ गयी जुलाई / कमलेश द्विवेदी - अवतरण इतिहास2024-03-28T11:32:58Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%86_%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%88_/_%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%B6_%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80&diff=280017&oldid=prevसशुल्क योगदानकर्ता ५: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2020-07-25T07:48:53Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKGlobal}}<br />
{{KKRachna<br />
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatBaalKavita}}<br />
<poem><br />
आओ अंशू-रिक्की-रानी आओ चुन्नू-मुन्नू भाई. <br />
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई. <br />
<br />
नैनीताल-मसूरी-ऊटी, <br />
या तुमने घूमा शिमला। <br />
गर्मी में सर्दी जैसा ही, <br />
कहाँ तुम्हें आनंद मिला। <br />
कैसे पर्वत-झरने देखे कैसे तुमने नाव चलाई. <br />
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई. <br />
<br />
गये आगरा-दिल्ली-जयपुर, <br />
या तुमने देखा भोपाल। <br />
कहाँ-कहाँ तुम गये घूमने, <br />
मुझे बताओ सारा हाल। <br />
तुमने क्या-क्या चीज खरीदी खाई तुमने कौन मिठाई. <br />
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई. <br />
<br />
या घर में ही लूडो-कैरम, <br />
खेले तुमने खेल अनेक। <br />
इसी विषय पर प्यारे बच्चों, <br />
लिख डालो तुम निबंध एक। <br />
अबकी गर्मी वाली छुट्टी किसने कैसे कहाँ बिताई. <br />
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई.<br />
</poem></div>सशुल्क योगदानकर्ता ५