Last modified on 25 जुलाई 2020, at 13:18

आ गयी जुलाई / कमलेश द्विवेदी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:18, 25 जुलाई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आओ अंशू-रिक्की-रानी आओ चुन्नू-मुन्नू भाई.
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई.

नैनीताल-मसूरी-ऊटी,
या तुमने घूमा शिमला।
गर्मी में सर्दी जैसा ही,
कहाँ तुम्हें आनंद मिला।
कैसे पर्वत-झरने देखे कैसे तुमने नाव चलाई.
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई.

गये आगरा-दिल्ली-जयपुर,
या तुमने देखा भोपाल।
कहाँ-कहाँ तुम गये घूमने,
मुझे बताओ सारा हाल।
तुमने क्या-क्या चीज खरीदी खाई तुमने कौन मिठाई.
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई.

या घर में ही लूडो-कैरम,
खेले तुमने खेल अनेक।
इसी विषय पर प्यारे बच्चों,
लिख डालो तुम निबंध एक।
अबकी गर्मी वाली छुट्टी किसने कैसे कहाँ बिताई.
फिर पढ़ने का मौसम आया-यह कहती आ गयी जुलाई.