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आ मुझे प्यार कर... / शमशाद इलाही अंसारी

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मेरे होठों का रंग
तेरे चेहरे पर न छ्प जाए,
इसलिए, मैंने लाली लगाना छोड़ दी ।
मेरे गले का हार
तेरे सीने में कोई ज़ख़्म न कर दे,
इसलिए, मैंने ये ज़ेवर छोड़ दिया
मेरे पाँव के पाज़ेब
तेरी नींद में ख़लल न डालें
इसलिए, मैंने उसे भी छोड़ दिया
मेरे कंगन..मैं,
जब तेरा आलिंगन करुँ
तेरी कमर में न चुभें
इसलिए, मैंने उन्हें भी छोड़ दिया
मेरी नथुनी
मेरी अँगूठियाँ, मेरा झूमर
मेरे बिछुए
मेरी तगड़ी
मेरा एक-एक बाज़ारू गहना
जो दूसरों ने
मुझे सुंदर बनाने के लिए
गढ़े थे
मैंने सब छोड़ दिए
मैं, इस वक़्त सिर्फ़ मैं हूँ
अपने शुद्ध
प्राकृतिक और नैसर्गिक रुप में
सिर्फ़ अपने बदन की
ख़ुशबू के साथ
आ...अब मुझे प्यार कर |

रचनाकाल : 03.02.2011