भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इंसान / शमशाद इलाही अंसारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसने शेख़ से पूछा
कि तुम पहले शेख़ हो या कि इंसान ?
शेख़ जी तिलमिलाए, बोले
मैं हूँ पहले शेख़, बाद में इंसान
उसने फ़िर एक पंडित से
यही प्रश्न किया
पंडित जी अचकचाए और बोले
मैं पंडित ही पैदा हुआ हूँ
पंडित ही मरुँगा ।
जब एक ईसाई से उसने यह प्रश्न किया
ईसाई भी बोला वह प्रथम और अंतिम रूप से
ईसाई ही है
यहूदी ने भी दृढ़ता से यही उत्तर दिया
बौद्ध भी यही बोला
जैन का उत्तर भी यही
सिख ने भी यही कहा
और यह प्रश्नोत्तर का
सिलसिला तब तक चला
जब तक यह प्रश्न उस
अंतिम व्यक्ति तक न आ गया
जिसने कहा
इंसान
और वह
मैं हूँ ।

रचनाकाल : 19.07.2010