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इक कहानी तुम्हें मैं सुनाता रहूँ / संजय कुमार गिरि

इक कहानी तुम्हें मैं सुनाता रहूँ ।
प्यार की हर निशानी दिखाता रहूँ।

मुस्कुराती रहो गीत बन तुम मेरा
मैं हमेशा जिसे गुनगुनाता रहूँ ।

राह में तुम मिलो मीत बन और मैं
देखते ही गले से लगाता रहूँ।

आते जाते रहें आप दिल में मेरे
आप के दिल में मैं आता जाता रहूँ।

ख्वाव में आप आयें दुल्हन की तरह
प्यार से आपको मैं सजाता रहूँ ।