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इक जगह जम्अ कर लो सारे ग़म /राज़िक़ अंसारी

इक जगह जम्अ कर लो सारे ग़म
आ के फिर देखना हमारे ग़म

तू है मेहमान बिन बुलाया हुआ
कौन कहता है तुझ से आ, रे ग़म

भूल जाएगा मसख़री करना
तूने देखा नहीं है प्यारे, ग़म

मेरे दिल में क़याम है वरना
जा के फिर शब कहाँ गुज़ारे ग़म

होता ख़ुशियों का दाख़िला कैसे
पांव इस तरह थे पसारे ग़म

जाने कितनों की जान ली तूने
किस में हिम्मत है तुझ को मारे ग़म

हम खिलाड़ी बहुत पुराने हैं
वरना बाज़ी किसी से हारे ग़म